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इस बम ने सर्जिकल स्ट्राइक में छुड़ाए थे दुश्मन के छक्के, फिर भारी मात्रा में हो रहा निर्माण

दुश्मन के छक्के छुड़ा देगा थाउजेंड पाउंडर बम, सर्जिकल स्ट्राइक में थी इस बम की अहम भूमिका।

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thousand pounder bomb cover

इस बम ने सर्जिकल स्ट्राइक में छुड़ाए थे दुश्मन के छक्के, फिर भारी मात्रा में हो रहा निर्माण

धरती हिला देने वाले थाउजेंड पाउंडर बम की बॉडी को विकसित करने में ग्रे आयरन फाउंड्री (जीआइएफ) ने कामयाबी हासिल की है। पांच बम के प्रोटोटाइप को रक्षा कंपनी यंत्र इंडिया लिमिटेड के सीएमडी राजीव पुरी ने शुक्रवार को फाउंड्री से आयुध निर्माणी खमरिया भेजा।

फाउंड्री में पहली बार एयरफोर्स के सबसे बड़े एमुनेशन में शामिल थाउजेंड पाउंडर बम की बॉडी की ढलाई के अलावा मशीनिंग की गई है। यंत्र इंडिया लिमिटेड के सीएमडी ने उम्मीद जताई कि, 500 बम बॉडी के लक्ष्य को समय में पूरा कर लिया जाएगा। हर बॉडी की कीमत तीन लाख रुपए है। सीएमडी पुरी ने फाउंड्री गेट से पांच बम बॉडी को आयुध निर्माणी खमरिया (ओएफके) रवाना किया। अब इनमें बारूद को भरा जाएगा। वहां कुछ कंपोनेंट और लगाए जाएंगे। बम का वजन 450 किलो तक हो जाता है। उसे एयरफोर्स को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। ऐसे में अगर कामयाबी मिलती है तो फाउंड्री को बड़ा ऑर्डर मिलेगा।

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ये पदाधिकारी रहे मौजूद

इस दौरान फैक्ट्री के संयुक्त महाप्रबंधक एसके बासक, जनसंपर्क अधिकारी कुमार मनीष, टोकन मंडल, मनोज साहू, राकेश दुबे समेत यूनियन-एसोसिएशन के पदाधिकारी मौजूद थे।

पूरी तरह स्वदेशी बम

फाउंड्री के महाप्रबंधक सुकांता सरकार ने बताया कि, यह पूरी तरह स्वदेशी बम बॉडी है। इसकी ढलाई स्क्रैप से की गई है। डीजीक्यूए ने इसकी जांच की है। ये बम बॉडी मुरादनगर में बनती है। उसका कुछ काम यहां दिया गया था। 31 अगस्त के पहले प्रोटोटाइप तैयार था। हमें 500 बम की बॉडी बनाना है। बॉडी को विकसित करने में अधिकारी और कर्मचारियों के अलावा एसक्यूएडब्ल्यू के वैज्ञानिक अर्जन सिंह, नीरज कुमार और उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने योगदान दिया।

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थाउजेंड पाउंडर बम की खासियत

थाउजेंड पाउंडर बम की खासियत ये है कि, ये बेहद खतरनाक और शक्तिशाली बमों में से एक है। इसकी मारक क्षमता सबसे ऊंचे स्तर की मानी जाती है। वायु सेना के लड़ाकू विमानों के द्वारा टारगेट सेट कर इनके जरिए हमला किया जाता है। थाउजेंड पाउंडर इतने विध्वंसक होते हैं कि, इनका इस्तेमाल बंकरों, विमानतल और हवाई पट्टियों को ध्वस्त करने में किया जाता है। एक थाउजेंड पाउंडर बम अगर किसी इलाके में गिराया जाए तो उसके आसपास के करीब 4 से 5 किलोमीटर के इलाके को पूरी तरह तबाह किया जा सकता है। जीआईएफ के द्वारा 500 में से शुरुआती दौर में 5 बमों को O.F.K. के हवाले किया गया है।

इन देशों में हो रहा इसी तकनीक के बम का इस्तेमाल !


करीब 6 महीनों की मेहनत से जीआईएफ में इन बमों को पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित पर जबलपुर में ही तैयार किया गया है। जानकारों का कहना है कि, रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में भी इसी तरह के बमों का इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा चीन जैसे देश भी अब इन्हीं बमों का इस्तेमाल करने लगे हैं।

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जबलपुर आयुध निर्माणी हो नाम

मजदूर यूनियन की तरफ से देश की सबसे छोटी आयुध निर्माणी में एक जीआइएफ का नाम बदलने के लिए सीएमडी पुरी को ज्ञापन दिया। उन्होंने इसके नामकरण का सुझाव मांगा तो यूनियन की तरफ से इसे जबलपुर आयुध निर्माणी नाम देने की मंशा जाहिर की गई। उन्होंने इसे पूरा करने का आश्वासन दिया।